बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
अथवा
टीपू सुल्तान की पराजय के कारणों को समझाइये |
उत्तर -
टीपू सुल्तान
हैदरअली तथा उसकी पत्नी फातिमा के घर बहुत प्रार्थना के पश्चात एक पुत्र जन्मा और उसका नाम टीपू सुल्तान रखा गया। उसे एक मुस्लिम राजकुमार के योग्य सारी शिक्षा मिली। वह अरबी, फारसी, कन्नड़ तथा उर्दू में सुगमता से बातचीत कर सकता था। पिता के समय से ही टीपू को राजकाज, सेना संचालन तथा शत्रु के साथ युद्ध करने का क्रियात्मक ज्ञान प्राप्त हो गया था। वास्तव में टीपू से अंग्रेज बड़े डी आतंकित रहते थे। इसी कारण अंग्रेज लेखकों ने उसे 'सीधा दैत्य' कहा है। टीपू की आकृति में उन्हें नेपोलियन की मूर्ति दृष्टिगोचर होती थी और इसीलिए किसी भी कीमत पर अंग्रेज उसे समाप्त करना चाहते थे। टीपू अंग्रेजों का कट्टर दुश्मन भी था। वह प्रारम्भ से ही अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने की योजना बना रहा था। टीपू में पूर्वी उदासीनता का कण मात्र भी नहीं था और वह नवीन प्रयोग करने को सदैव उद्यत रहता था तथा पाश्चात्य विज्ञान एवं राजनीतिक दर्शन का यथोचित गुणग्राही था। उसने श्री रंगपट्टनम में स्वतन्त्रता का वृक्ष लगाया तथा जैकोबिन क्लब की स्थापना भी कराई थी।
उपर्युक्त गुणों एवं योग्यताओं के बावजूद भी टीपू को अंग्रेजों से पराजय का सामना करना पड़ा जिसके प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं-
विदेशी सहायता को महत्व देना - टीपू आंतरिक सम्बन्धों की अपेक्षा विदेशों से सम्बन्ध अच्छे रखता था। अंग्रेजी साम्राज्यवादी परंपरा के अनुसार अंग्रेजों ने द्वितीय मैसूर युद्ध की मंगलोर संधि को आने वाले आक्रमण के लिए केवल सांस लेने का समय माना। यद्यपि 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि कंपनी कोई नया क्षेत्र जीतने का प्रयत्न नहीं करेगी, तो भी लार्ड कार्नवालिस ने निजाम तथा मराठों की टीपू विरोधी भावनाओं से प्रेरित होकर 1790 में टीपू के विरुद्ध त्रिदलीय संगठन (मराठे, निजाम और अंग्रेज) रचा। टीपू को भी अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध अवश्यम्भावी प्रतीत होता था। अतः इस सम्बन्ध में उसने तुर्कों से सहायता प्राप्त करने का प्रयत्न किया तथा 1784 एवं 1785 में कुस्तुन्तुनिया [ आधुनिक ( Istanbul) इंस्ताबुल] को एक राजदूत भेजा और 1787 में उसने एक दूत मंडल फ्रांस भी भेजा।
हस्तक्षेप की नीति - टीपू का ट्रावनकोर के राजा से झगड़ा उस समय हुआ जब महाराजा ने डच लोगों से कोचीन रियासत में स्थित जैकौटै तथा क्रगानूर मोल लेने का प्रयत्न किया। टीपू कोचीन रियासत को अपने अधीन मानता था और उसने ट्रावनकोर के इस प्रयत्न को अपनी सत्ता में हस्तक्षेप माना। उसने 1790 में ट्रावनकोर पर आक्रमण करने का निर्णय किया अंग्रेजों ने जो युद्ध पहले से ही उधत बैठे थे, ट्रावनकोर के राजा का पक्ष लिया, क्योंकि 1784 में दोनों पक्षों के बीच इस आशय की संधि हुई थी। कार्नवालिस ने एक बड़ी सेना की सहायता से टीपू पर आक्रमण कर दिया और वैल्लौर तथा अम्बूर से होता हुआ वह बंगलोर पर चढ़ आया जो उसने मार्च 1791 में जीत लिया तथा श्री रंगापट्टम तक पहुँच गया। यहाँ तक अंग्रेजों ने कोइम्बटूर भी जीत लिया परन्तु शीघ्र ही उसे हाथ से खो बैठा।
श्री रंगापट्टम की संधि - मराठा एवं निजाम की सहायता से अंग्रेजों ने पुनः श्री रंगापट्टम की ओर चढ़ाई की। जिसका टीपू ने कड़ा प्रतिरोध किया परन्तु जब उसने देखा कि युद्ध जारी रखना असंभव है तो उसने श्री रंगापट्टम की संधि कर ली। इस संधि के अनुसार उसे अपने देश का लगभग आधा भाग अंग्रेजों तथा उनके साथियों को देना पड़ा। इसके अंतर्गत अंग्रेजों को बारामहल, डिंडीगुल तथा मालाबार मिला तथा मराठों को तुंगभद्रा नदी के उत्तर का भाग मिला और निजाम को पन्नार तथा कृष्णा नदी के बीच का भाग मिला। टीपू को 3 करोड़ रुपया युद्ध की क्षति पूर्ति के लिए भी देना पड़ा। युद्ध के इस दौर में टीपू की बहुत क्षति हुई तथा वह अपने राज्य को पूर्णतया समाप्त होने से बहुत कठिनाई से ही बचा पायो। कार्नवालिस ने इस स्थिति को निम्न शब्दों में वर्णित किया है- "हमने अपने शत्रु को प्रभावशाली ढंग से पंगु बना दिया है तथा अपने साथियों को भी शक्तिशाली नहीं बनने दिया।'
वेलेजली की योग्यता एवं कूटनीतिज्ञता - लार्ड वेलेजली की योग्यतम सहायक संधि एवं उसकी कूटनीति टीपू के पतन का कारण बनी। भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की नीति का मुख्य अंग यह था कि युद्ध करो फिर अपने आपकों आने वाले युद्ध के लिए तैयार करने के लिए शान्ति की नीति अपनाओं। 1798 में लार्ड वेलेजली आया जो एक साम्राज्यवादी गवर्नर जनरल था। दूसरे, उस समय नेपोलियन का भय समस्त यूरोप पर छाया हुआ था। ऐसा होना शान्ति बनाये रखने के लिए उपयुक्त नहीं था। वेलेजली ने दृढ़ निश्चय किया था कि या तो टीपू को पूरी तरह समाप्त करूँगा या पूर्णतया अपने अधीन कर लूंगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने सहायक संधि का मार्ग अपनाया। उसने टीपू सुल्तान पर यह दोष लगाया कि वह मराठों तथा निजाम के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध पड़यन्त्र रच रहा है, अथवा अरब, अफगानिस्तान के जमानशाह, कुस्तुनतुनियां, मॉरीशस में फ्रांसीसी अधिकारियों अथवा वरसाई में डाइरेक्टरी इत्यादि के साथ अंग्रेजों के विरुद्ध मोर्चा बनाने के लिए पत्र-व्यवहार कर रहा है। यह सभी बहाने उसकी उद्देश्य पूर्ति के लिए पर्याप्त थे। टीपू ने उत्तर में कहा कि केवल 40 काले रंग के फ्रांसीसी, जिनमें 10 या 12 शिल्पी तथा नौकर थे, जिन्होंने जहाज का किराया भी स्वंय दिया है, यहाँ काम की खोज में आये थे। लेकिन इस उत्तर को स्वीकार नहीं किया गया और अप्रैल 1799 में टीपू के विरुद्ध अभियान आरम्भ कर दिया गया। 4 मई 1799 को श्री रंगापट्टम का दुर्ग जीत लिया गया तथा मैसूर की स्वतंत्रता समाप्त हो गई। टीपू ने लड़ते-लड़ते वीरगति पाई।
इस प्रकार टीपू प्रतिभावान एवं साहसी होते हुए भी अंग्रेजों से पराजित हुआ क्यों वह अपने पिता के समान कूटनीतिक चालों तथा राजनीतिक दांव पेंचों का मर्मज्ञ नहीं था साथ ही वह अपनी योग्यता पर आवश्यकता से अधिक विश्वास करता था। इसके अतिरिक्त उसके समकालीन शासकों निजाम एवं मराठों से उसके सम्बन्ध अच्छे नहीं थे। जिससे वे टीपू विरुद्ध हो गये और अंग्रेजों का साथ देने लगे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि अंग्रेजी सेना के मुकाबले उसकी स्थल एवं जल सेना कमजोर थी। और साथ ही अंग्रेज कंपनी को कार्नवालिस एवं वेलेजली जैसे योग्यतम गवर्नर जनरलों की सेवाएँ प्राप्त हुई जोकि टीपू सुल्तान की पराजय का मुख्य कारण सिद्ध हुई।
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- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
- प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
- प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?